केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अंतर्राष्ट्रीय मेथनॉल सेमिनार का किया उद्घाटन
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को नई दिल्ली में नीति आयोग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मेथनॉल संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। नितिन गडकरी ने प्रदर्शनी का भी दौरा किया, जहां मेथनॉल आधारित उत्पादों एवं मशीनरी का प्रदर्शन किया गया। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने मेथनॉल पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए नीति आयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत को एक ऐसी नीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है जो बढ़ते प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के आयात के प्रमुख मुद्दों से निपटने के लिए लागत प्रभावी, स्वदेशी, आयात विकल्प आधारित और रोजगार पैदा करने वाली हो।
सेमिनार में बोलते हुए, नितिन गडकरी ने बढ़ते प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन का आयात दो प्रमुख चिंताओं पर जोर दिया। उन्होंने आत्मनिर्भरता के लिए इन आयातों को खासकर वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के मद्देनजर, कम करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया, जो कि लगभग ₹22 लाख करोड़ है।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि भारत जैव ईंधन क्षेत्र में, खास तौर पर मेथनॉल के क्षेत्र में, उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि मेथनॉल को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग के प्रयास सफल हो रहे हैं, क्योंकि यह किफायती और प्रदूषण मुक्त भी है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में उपलब्ध निम्न गुणवत्ता वाले कोयले का भी मेथनॉल बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है।
नितिन गडकरी ने ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने, कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और भारत के किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने में जैव ईंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री ने कचरे को संपदा में बदलने की अवधारणा पर बात की और इस बात पर प्रकाश डाला कि सड़क निर्माण में पुराने टायर पाउडर और प्लास्टिक जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे बिटुमेन के आयात में कमी आई है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि फसल के कचरे का उपयोग करने की पहल देश भर के किसानों की आय बढ़ाने में कैसे मदद कर रही है।
इस मौके पर उन्होंने अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से चावल के भूसे से जैव-सीएनजी के उत्पादन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण ने 475 परियोजनाओं में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, जिनमें से 40 से अधिक पहले से ही पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में चल रही हैं।
नितिन गडकरी ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि अभी हम पराली का पांचवां हिस्सा ही प्रोसेस कर सकते हैं, लेकिन बेहतर योजना के साथ हम पराली को वैकल्पिक ईंधन के कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करके पराली जलाने से होने वाले मौसमी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं।