आज रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के 250 वर्ष पूर्ण होने पर पुस्तकालय प्रांगण में सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन 02 से 07 अक्टूबर 2024 तक किया गया है।
इस अवसर पर आज दिनांक 06 अक्टूबर 2024 को बच्चों की शाम, रज़ा पुस्तकालय के नाम, दयावती मोदी एकेडमी, रामपुर द्वारा डांडिया, राजस्थानी, पंजाबी डांस, ग्रुप गीत, सोलो नृत्य तथा नारी शक्ति का प्रदर्शन किया गया। जिस से श्रोता व आमंत्रित अतिथि मंत्र मुग्ध हो गये तथा कार्यक्रम को हृदय से सराहा गया।
इस अवसर पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के निदेशक डॉ० पुष्कर मिश्र जी ने कलाकारों व उपस्थित गणमान्य अतिथियों, श्रोताओं एवं मीडिया बन्धुओं का अभिनंदन व धन्यवाद किया और कहा कि रज़ा पुस्तकालय के 250 वर्ष पूर्ण होने के उत्सव का आज पाँचवा दिन है। हमारे यह बच्चे ही हमारे राष्ट्र का भविष्य हैं तथा हमारा दायित्व है कि हम इन बच्चों को ऐसी शिक्षा प्रदान करें कि यह भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर देश को उन्नति के मार्ग पर ले जायें। उन्होने कहा कि हमें एक राष्ट्र के रूप में इन बच्चों पर गर्व है कहा कि बच्चों की शाम रज़ा पुस्तकालय के नाम के अन्तर्गत दयावती मोदी एकेडमी, रामपुर द्वारा विभिन्न राज्यों के पारम्परिक नृत्य व गीत जिनमें डांडिया, राजस्थानी, पंजाबी डांस, ग्रुप गीत, सोलो नृत्य, नारी शक्ति की शानदार प्रस्तुति दी गयी।
निदेशक महोदय ने गत 5 दिनों के कार्यक्रमें की समीक्षा करते हुए कहा कि पहले दिन 02 अक्टूबर को वसुधैव समन्वयक गाँधी पर विचार गोष्ठी के द्वारा गाँधी जयन्ती पर उत्सव का आरम्भ हुआ उस दिन गाँधी जी के प्रिय गीतों की भजन संध्या का आयोजन किया गया। दूसरे दिन 03 अक्टूबर को शामे-गंज़ल तथा चहारबैत का आयोजन हुआ, तीसरे दिन 04 अक्टूबर को एक शाम शहीदों के नाम तथा कुमांऊनी लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया, चौथे दिन 05 अक्टूबर को कव्वाली तथा ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया गया, कव्वाली एवं ओडिसी नृत्य से मंत्रमुग्ध हुए निदेशक महोदय ने कहा कि आज की शाम रामपुर रज़ा पुस्तकालय के इस प्रांगण में जो आप लोगों ने साक्षात देखी वह साधना की शाम थी, तप की शाम थी। ऋषियों ने वाक् की धारणा की और उसके चार रूप बताये हैं परा, पश्यन्ति, मध्यमा और वैखरी। इस परा वाक् को योगियों ने नाद कहा और नाद को ब्रह्म कहा गया, और कव्वाली की जो प्रस्तुति हुई हैं वो उस नाद ब्रह्म की साधना हैं। कहते हैं कि योगी जब अपनी चरम अवस्था में होता है तो इस जगत के नाद को सुनता है और वह जगत का नाद ही उसे ब्रह्म के रूप में दिखायीं पढ़ता है। संगीत जो हमारे जीवन में है उस नाद का वैखरी रूप है, यानि कि प्रकटीकरण है। रामपुर कलाकारों की कव्वाली सुनते समय मुझे उसमें उस नाद की झन्कार सुनायी पड़ी, मैं बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ, ये भारत की भूमि में ही सम्भव है कि संगीत का यह रूप हमारे सामने परिलक्षित हो।मिस पर्णा साहना द्वारा ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति की प्रशंसा करते हुए कहा कि नृत्य प्रस्तुत करते हुए उनके चेहरे पर जो भाव और जो मुद्रायें थी उनके द्वारा हमें साक्षात देवी के दर्शन हुए। यह बहुत कठिन साधना का प्ररिणाम होता है, ऐसी देवी साधना में तल्लीन पर्णा जी को हमारा साधुवाद।
पृथ्वी पर कोई ऐसी भूमि नहीं है जिसमें ईश्वर की स्त्री के रूप में धारणा की हो, यह भारत भूमि है जिसने स्त्री को परम शवित्त के रूप में देखा। कहते हैं शक्ति के विना शिव, शव है, विना शिव और शक्ति के संयोग के जगत् की कल्पना नहीं की जा सकती।
बाल कलाकारों द्वारा नारी शक्ति पर दी गयी प्रस्तुति की प्रशंसा करते हुए उन्होने कहा कि नवरात्र की पावन बेला चल रही है तथा बाल कलाकारों को साधुवाद देता हूँ कि इन्होने नवरात्र के पावन अवसर पर इस प्रसंग का चयन किया। निदेशक महोदय ने दयावती मोदी एकडमी के बालकलाकारों व स्कूल स्टाफ का अभिनंदन व धन्यवाद प्रस्तुत करते हुए रज़ा पुस्तकालय की ओर से भेंट स्वरूप स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
निदेशक महोदय ने कहा कि रामपुर वासी जो रामपुर रज़ा पुस्तकालय परिवार के अंग हैं आप सब इतनी तल्लीनता के साथ, इतने भावपूर्ण ढंग से समस्त कार्यक्रमों के प्रत्येक कलाकार को प्रोत्साहित कर रहे हैं जिससे यह महोत्सव सफलताओं की ऊचाइयों को छू रहा है, जिसके लिए श्रोताओं को धन्यवाद देता हूँ।
इस अवसर पर शहर के गणमान्य लोग व श्रोतागण से रज़ा लाइब्रेरी प्रांगण पूर्ण रूप से भरा हुआ • था पुस्तकालय द्वारा उनके लिए बैठने, पानी व नाश्ते की व्यवस्था की गयी। श्रोताओं द्वारा रज़ा पुस्तकालय की सभी व्यवस्थाओं को हृदय से सराहा गया।
ज्ञात हो कि रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के 250 वर्ष पूर्ण होने वाले महोत्सव के सारे कार्यक्रम सोशल मीडिया फेसबुक तथा यूट्यूब पर लाइव दिखाये जा रहे हैं।
Reporter parvez Ali rampur up