रामपुर यूपी/ रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में राजकोट, गुजरात के ठाकोर साहिब मंधातासिंह जाडेगा और मुंबई की कलाकार शमीम कुरैशी ने लाइब्रेरी का भ्रमण कर निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र से भेंट की।
राजकोट, गुजरात के ठाकोर साहिब मंधातासिंह जाडेगा ने रामपुर रज़ा लाइब्रेरी का दौरा किया और इसे वास्तुकला, धर्म, ज्ञान, और प्राचीन ग्रंथों का अनूठा संगम बताया। उन्होंने कहा— “यह एक दुर्लभ पांडुलिपियों और प्राचीन पुस्तकों का भंडार है। मेरी यह यात्रा अत्यंत अद्भुत, प्रेरणादायक और अविस्मरणीय रही। फारसी रामायण की एक प्रति को हाथ में लेना मेरे लिए भगवान राम का आशीर्वाद है, जिसे मैं अपने साथ ले जा रहा हूं। इसके साथ ही, मैं लाइब्रेरी के निदेशक श्री पुष्कर मिश्र जी की विद्वत्ता, प्रबुद्धता और ज्ञान से भी अत्यंत प्रभावित हूं। वे इस राष्ट्रीय धरोहर के संरक्षक के रूप में एक सम्माननीय व्यक्ति हैं, जिनका कार्य पूरे समाज के लिए अत्यंत लाभदायक है।” ठाकोर साहिब ने आगे कहा कि “यह यात्रा अत्यंत समृद्ध अनुभव देने वाली रही। यहां की संगमरमर की सुंदर मूर्तियां, प्राचीन झूमर, पेंटिंग्स, शस्त्रागार, और दुर्लभ पुस्तकों के संग्रह ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया है।” उन्होंने रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की पूरी टीम को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहा कि नवाब सैयद रज़ा अली खान बहादुर (रामपुर के नवाब) द्वारा रचित कविताएं अत्यंत अद्वितीय और प्रशंसनीय हैं। उनकी लिखी गई कविताएं हृदय को गहराई से स्पर्श करती हैं।
मुंबई की कलाकार शमीम कुरैशी ने भी रामपुर रज़ा लाइब्रेरी और म्यूज़ियम का भ्रमण किया। उन्होंने लाइब्रेरी के निदेशक, डॉ. पुष्कर मिश्र जी को 4×2 फीट की एक विशेष पेंटिंग भेंट की। यह पेंटिंग हामिद मंज़िल पैलेस (जो रामपुर रज़ा लाइब्रेरी का मुख्य भवन है) की वास्तुकला में प्रतिबिंबित धार्मिक मीनारों को दर्शाती है। सुश्री कुरैशी, जो टेराकोटा और कैनवास पर कुरआन की आयतों की खूबसूरत कैलीग्राफी के लिए जानी जाती हैं, इन मीनारों और उनकी विविध धार्मिक वास्तुकला से बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने लाइब्रेरी प्रशासन की सराहना की, वहां की स्वच्छता और दुर्लभ पुस्तकों के संग्रह को अत्यंत प्रभावशाली बताया।
रिपोर्टर परवेज़ अली रामपुर यूपी
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