कुछ लोग साजिश के तहत चला रहे हैं राष्ट्र विरोधी अभियान, उपराष्ट्रपति ने कहा- ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत
भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने आज शनिवार को चिंता जताई कि देश में कुछ लोग साजिश के तहत एक नैरेटिव चला रहे हैं कि हमारे पड़ोसी देश में हाल ही में जो घटनाक्रम हुआ है,वैसा ही भारत में भी घटित होगा। उपराष्ट्रपति ने ऐसे लोगों से सावधान रहने की अपील करते हुए आगाह किया कि ऐसे लोग अपने जीवन में उच्च पदों सांसद,मंत्री भी रहें हैं।
जोधपुर में राजस्थान हाई कोर्ट की प्लेटिनम जुबली के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में देश भर से आए न्यायाधीशों व वकीलों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने चेताया कि ऐसी राष्ट्र विरोधी ताकतें वैधता प्राप्त करने के लिए संवैधानिक संस्थानों को प्लेटफार्म के रुप में प्रयोग कर रही हैं। ये ताकतें देश तोड़ने को तत्पर हैं और राष्ट्र के विकास व लोकतंत्र को पटरी से उतारने के लिए मनगढ़ंत नैरेटिव चलाती हैं। धनखड़ ने आगाह करते हुए कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने भारत में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने में न्यायपालिका की भूमिका को सराहा और कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में केवल एक समय ऐसा आया जब आपातकाल के दौरान न्यायपालिका एक व्यक्ति की तानाशाही के आगे झुक गई। इस विषय पर उन्होंने आगे कहा कि नई पीढ़ी के लोगों को आपातकाल के काले दौर की जानकारी बहुत कम है। उन्होने आह्वान किया कि देश के युवाओं को भारत के इतिहास के उस काले अध्याय के बारे में बताना चाहिए।
संविधान में शक्तियों के बंटवारे का करना चाहिए सम्मान: उपराष्ट्रपति
इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह दिन देशवासियों को आगाह करेगा कि किस तरह 1975 में संविधान पर कुठाराघात किया गया। अपने संबोधन में धनखड़ ने कहा कि संविधान में सभी अंगों के कार्यक्षेत्र का स्पष्ट बंटवारा है और शक्तियों के इस पृथक्करण का सबके द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने हल्के अंदाज में यह भी जोड़ा कि संसद न्यायिक निर्णय नहीं दे सकती, उसी तरह न्यायलय भी कानून नहीं बना सकते।