आज रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के 250 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों की श्रृंखला में सखावत हुसैन,
सहसवान घराना, रामपुर द्वारा शाम-ए-गज़ल और अखाड़ा बाबू बहार रामपुर, अखाड़ा मंजू खाँ रामपुर द्वारा चहारवैत को दर्शकदीर्घा के समस्त प्रस्तुत किया।
दोनों ही कार्यक्रमों ने उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रमों की प्रस्तुति को देखकर दर्शकदीर्घा स्वयं तालियों की गड़गड़ाहट से रोक न पाई। लाइब्रेरी के 250 वर्ष के उपलक्ष्य में होने वाले इस कार्यक्रम में सम्पूर्ण रज़ा लाइब्रेरी परिसर तालियों की आवाजों से गूंजता रहा।
इस अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के निदेशक डॉ० पुष्कर मिश्र जी ने दुर्लभ कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए बताया कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की स्थापना मूल रूप से 07 अक्टूबर 1774 को प्रसिद्ध रोहिल्ला नेता और तत्कालीन रामपुर राज्य के संस्थापक नवाब फैजुल्लाह खान (मृत्यु 1794) द्वारा की गई थी।
अपने व्यक्तिगत संग्रह के माध्यम से पुस्तकालय का केन्द्र और प्रारम्भिक चरण में, यह तोशा खाना का एक हिस्सा था जो 1851 तक जारी रहा। उत्तराधिकारी नवाब, मोहम्मद सईद खान (1840-55) ने इसे एक स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित किया जिसे ‘कुतुबखाना-ए-दारूर रियासत रामपुर’ के नाम से जाना जाता है। नवाब हामिद अली खान ने शानदार महल हामिद मंजिल का निमार्ण कराया जो 1905 में पूरा हुआ।
15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1949 में रामपुर राज्य का भारत संघ में विलय हो गया। नवाब रज़ा अली खान ने देश को पुस्तकालय प्रस्तुत किया औऔर इसका नाम बदलकर स्टेट लाइब्रेरी से रामपुर रज़ा लाइब्रेरी कर दिया। लाइब्रेरी को एक ट्रस्ट के प्रबंधन के तहत लाया गया, जिसे 06 अगस्त 1951 को बनाया गया था।
रामपुर रज़ा लाइब्रेरी का बहुमूल्य संग्रह पुरानी इमारत (वर्तमान में राजकीय आई.टी.आई रामपुर) से भवन हामिद मंजिल में 1957 में स्थानांतरित किया गया था। ट्रस्ट ने जून 1975 तक लाइब्रेरी का प्रबंधन किया। भारत सरकार ने 1 जुलाई, 1975 को संसद के एक अधिनियम, जिसे रामपुर रज़ा लाइब्रेरी अधिनियम संख्या 22 कहा जाता है, के तहत ट्रस्ट के अध्यक्ष नवाब मुर्तज़ा अली खान से लाइब्रेरी का अधिग्रहण कर लिया। भारत सकार ने प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी ली। पुस्तकालय की स्थापना की और इसे राष्ट्रीय महत्व का सांस्थान भी घोषित किया।
वर्तमान में, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुस्तकालय दुनिया भर में प्रसिद्ध है और इसके समृद संग्रह के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि हमारे भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने रामपुर रज़ा पुस्तकालय से पाण्डुलिपियों की प्रतिलिपियों को विभिन्न देशों के राष्ट्अध्यक्षों को भेंट स्वरूप पदान की हैं।
भारत सरकार ने भारतीय संस्कृति और कला को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न देशों
में भारत महोत्सव मनाया। इस महोत्सव में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हुए और भारतीय
संस्कृति और कला का प्रदर्शन किया गया। भारत महोत्सव के एक भाग के रूप में, रामपुर रज़ा
लाइब्रेरी की सुलेखों का प्रदर्शन किया गया।
लोकप्रिय अंग्रेजी पत्रिका एनरूट ने अपने दुर्लभ संग्रह और शानदार इमारत के लिए रामपुर रज़ा लाइब्रेरी को ‘दुनिया की सबसे आश्चर्यजनक लाइब्रेरी में, 8वें स्थान पर स्थान दिया है। एनरूट एयर कनाडा की इन-फ़्लाइट पत्रिका और मनोंरंजन प्रणाली है। मासिक पत्रिका की सभी सामग्री फ्रेंच और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित होती है। पत्रिका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, क्यूबेक में है।
पुस्तकालय में हिन्दी में सराहनीय कार्य हैं। इसने मॉरीशस में 18 से 21 अगस्त 2018 तक 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भाग लेकर अपना प्रकाशन दुनिया के सामने रखा है।
अब, लाइब्रेरी दुनिया भर में अपने मूल्यवान पाठकों और विद्वानों को सुविधा प्रदान करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ रही है।
Reporter parvez Ali rampur up