भारत-मध्य एशिया की साझेदारी से क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों से निपटना संभव : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को नई दिल्ली में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के देश मंत्रियों से मुलाकात की। यह बैठक भारत-मध्य एशिया वार्ता की चौथी बैठक के बाद हुई, जिसमें दोनों पक्षों के बीच कई अहम मुद्दों पर सकारात्मक और उपयोगी बातचीत हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के रिश्ते हमेशा से उसकी विदेश नीति की एक बड़ी प्राथमिकता रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों की मजबूत नींव पर अब भारत और मध्य एशिया के बीच और गहरे आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी सहयोग की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने साझा दृष्टिकोण रखते हुए बताया कि भारत का लक्ष्य है कि इन देशों के साथ मिलकर आर्थिक जुड़ाव, सड़क और रेल संपर्क (connectivity),रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाया जाए। इसके अलावा फिनटेक, ऊर्जा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और डिजिटल तकनीक जैसे उभरते क्षेत्रों में भी साझेदारी को मजबूत किया जाए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “एक मजबूत भारत-मध्य एशिया साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में एक बहुगुणक शक्ति की तरह कार्य करती है।”
पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा “कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों से मिलकर प्रसन्नता हुई। भारत मध्य एशिया के देशों के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को गहराई से संजोता है। व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, फिनटेक, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में हमारे सहयोग को और गहरा करने की आशा है। हम आतंकवाद के खिलाफ अपनी सामूहिक लड़ाई में दृढ़ हैं।”
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, मध्य एशियाई विदेश मंत्रियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को पूरा समर्थन देने की बात कही। आगे की योजनाओं पर बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सभी पांचों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भारत में आयोजित होने वाले दूसरे भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण भी दिया। यह भारत-मध्य एशिया वार्ता दोनों पक्षों की ओर से मित्रता, विश्वास और आपसी समझ को और गहरा करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इसका उद्देश्य है कि भारत और मध्य एशिया मिलकर एक स्थिर, समृद्ध और सुरक्षित क्षेत्र का निर्माण करें।