नौसेना की और बढ़ेगी सामरिक क्षमता, भारत को मिली दूसरी परमाणु पनडुब्बी ‘अरिघाट
परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट गुरुवार को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गई। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के तेजी से बढ़ते कदमों के बीच परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी के मिलने से नौसेना की समुद्री सामरिक क्षमता और मजबूत होगी। साथ ही भारत को ‘पानी के युद्ध’ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी।
6,000 टन की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी
पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट को विशाखापट्टनम के जहाज निर्माण केंद्र पर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। नौसेना को 6,000 टन की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट मिलने के बाद भारत अब रणनीतिक प्रतिरोध के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की ओर से बढ़ रही चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा। अरिहंत श्रेणी की भारत में निर्मित की गई यह दूसरी पनडुब्बी है। व्यापक परीक्षणों के बाद औपचारिक कमीशनिंग के लिए पूरी तरह से तैयार पनडुब्बी में विस्तारित अवधि में उन्नयन के साथ कुछ तकनीकी मुद्दों को सुलझाया गया था।
पनडुब्बी का सात साल तक व्यापक परीक्षण
भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को 9 साल के व्यापक परीक्षण के बाद अगस्त, 2016 में समुद्र में उतारा गया था। दो साल के परीक्षण के बाद 2018 में यह पूरी तरह से चालू हो गई थी। आईएनएस अरिघाट की लांचिंग लगभग पांच साल के लम्बे इन्तजार के बाद 2017 में हो पाई। इस पनडुब्बी को मूल रूप से आईएनएस अरिदमन के नाम से जाना जाता था लेकिन इसके लॉन्च होने पर इसे आईएनएस अरिघाट नाम दिया गया था। यह पनडुब्बी सात साल तक व्यापक परीक्षण से गुजरी है। आईएनएस अरिहंत के मुकाबले आईएनएस अरिघाट में मिसाइलों की संख्या दोगुनी होगी, जिससे भारत को ‘पानी के युद्ध’ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी।
अरिहंत श्रेणी की दूसरी मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट के ब्लेड प्रोपेलर जल रिएक्टर से संचालित होंगे। यह पनडुब्बी पानी की सतह पर 12-15 समुद्री मील (22-28 किमी/घंटा) की अधिकतम गति से चल सकती है और समुद्र की गहराई में 24 समुद्री मील (44 किमी/घंटा) की गति प्राप्त कर सकती है। इस पनडुब्बी के कूबड़ पर आठ लांच ट्यूब होंगे। यह 750 किमी. रेंज वाली 24के-15 सागरिका मिसाइलों या 3,500 किमी. की रेंज वाली 8के-4 मिसाइल तक ले जा सकती है। अरिहंत श्रेणी की परमाणु-शक्ति वाली इन पनडुब्बियों को 2.9 बिलियन डॉलर के उन्नत टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत डिजाइन और निर्मित किया जा रहा है।