देश में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए केंद्र की पहल, 23 राज्यों के 40 परियोजनाओं को दी मंजूरी
देश में पर्यटन स्थलों को विश्वस्तरीय सुविधा के साथ विकसित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 23 राज्यों की 40 परियोजना पर होने वाले व्यय को मंजूरी दे दी है। पूंजी निवेश के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष सहायता (SASCI) योजना के तहत चुने गए 40 परियोजना पर 3295.76 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इन राज्यों में कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, बिहार, तेलंगाना, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब सहित 23 राज्य शामिल है।
गुरुवार को केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि एसएएससीआई योजना का उद्देश्य देश के पर्यटन स्थलों को वैश्विक पटल पर स्थापित करना है। इसके साथ इस योजना का उद्देश्य दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकारों को एसएएससीआई दिशा-निर्देश भेजे थे और उनसे अनुरोध किया गया कि वे मंत्रालय को परियोजना प्रस्ताव तैयार करके भेजे। 15 अक्टूबर तक कुल 87 परियोजना प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनकी लागत 8000 करोड़ रुपये से अधिक थी। इसके बाद पर्यटन मंत्रालय ने दिशा-निर्देशों के अनुरूप और प्रक्रिया एवं मानदंडों के अनुसार, 23 राज्यों में 3295.76 करोड़ रुपये की 40 परियोजनाओं को शॉर्टलिस्ट किया, जिन्हें अब व्यय विभाग द्वारा मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से सरकारी निवेश परियोजना एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगी और नौकरियां पैदा करेगी।
केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर काफी भीड़ रहती है। इसलिए राज्य सरकारों को पर्यटन विकास के लिए वैकल्पिक स्थानों की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इससे उन स्थलों पर भीड़ कम हो सकेगी और देशभर में अन्य पर्यटन स्थल विकसित हो सकेंगे। उन्होंने इसके लिए राज्यों को कम ज्ञात स्थलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रस्ताव देने को कहा गया। इससे उन स्थानों पर बेहतर पर्यटन अनुभव मिल सकेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बटेश्वर (उत्तर प्रदेश), पोंडा (गोवा), गंडिकोटा (आंध्र प्रदेश), पोरबंदर (गुजरात), ओरछा (मध्य प्रदेश), नाथुला (सिक्किम) आदि में चयनित परियोजनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि इन स्थानों को विकसित करके स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा। इसके साथ इन स्थानों को प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए विकास किया जा रहा है। इससे यह वैश्विक पटल पर स्थापित हो सकेगी।