राष्ट्रकवि दिनकर जी को विनम्र श्रद्धांजलि
“ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।”
आज हम नमन करते हैं उस युगद्रष्टा कवि को,
जिन्होंने राष्ट्रवाद, स्वतंत्रता और मानवीय मूल्यों को
अपने ओजस्वी शब्दों में ढालकर
हम सभी के हृदयों में अमर कर दिया।
📜 रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – केवल कवि नहीं,
बल्कि भारत की आत्मा के स्वर।
उनकी लेखनी आज भी क्रांति का गीत गाती है।
आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके विचारों को
जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।
🙏 श्रद्धा सुमन अर्पित…
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