पृथ्वी शॉ को करियर बचाने के लिए अर्जुन तेंदुलकर जैसा कदम उठाना होगा
पृथ्वी शॉ इन दिनों अपने करियर को लेकर गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। भारतीय टीम से करीब तीन साल से बाहर चल रहे पृथ्वी को अब मुंबई की घरेलू टीम में भी अपनी जगह बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। हाल ही में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने उन्हें विजय हजारे ट्रॉफी के शुरुआती तीन राउंड से बाहर कर दिया है। भले ही इस फॉर्मेट में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा हो, लेकिन एसोसिएशन ने उनकी फिटनेस और अनुशासन को लेकर सवाल उठाए हैं।
यह पहली बार नहीं है जब पृथ्वी को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले भी उन्हें रणजी ट्रॉफी में ड्रॉप किया गया था। बार-बार टीम से बाहर किए जाने की वजह से उनके करियर पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। अब अगर पृथ्वी को अपने करियर को बचाना है, तो अर्जुन तेंदुलकर जैसा कदम उठाना होगा।
अर्जुन तेंदुलकर से प्रेरणा लेने की जरूरत
सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन ने अपने करियर को संवारने के लिए एक बड़ा और साहसिक फैसला लिया। उन्होंने मुंबई की टीम से घरेलू क्रिकेट की शुरुआत की, लेकिन खेल के ज्यादा मौके न मिलने की वजह से उन्होंने गोवा की टीम का रुख किया। 2022 में गोवा के लिए फर्स्ट क्लास डेब्यू करने के बाद अर्जुन लगातार इस टीम का हिस्सा बने हुए हैं। रणजी ट्रॉफी से लेकर विजय हजारे ट्रॉफी तक, वह नियमित रूप से खेल रहे हैं और अपना प्रदर्शन दिखाने का पूरा मौका पा रहे हैं।
उमेश यादव जैसे कई खिलाड़ियों ने भी कमजोर टीमों से शुरुआत करके भारतीय टीम तक का सफर तय किया है। उमेश विदर्भ टीम से खेलने वाले पहले टेस्ट क्रिकेटर बने थे। पृथ्वी शॉ भी अगर ऐसी किसी छोटी या अपेक्षाकृत कमजोर टीम के लिए खेलते हैं, तो उन्हें लगातार खेलने और अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिल सकता है।
छोटी टीम का रुख कैसे होगा फायदेमंद?
मुंबई की घरेलू टीम भारत की सबसे मजबूत टीमों में से एक है। इसमें कई स्टार खिलाड़ी खेलते हैं, जिससे खराब फॉर्म से जूझ रहे पृथ्वी शॉ के लिए मौके और भी कम हो जाते हैं। दूसरी ओर, गोवा जैसी छोटी टीमों में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की ज्यादा जरूरत होती है। ऐसी टीमों में पृथ्वी को लगातार खेलने का मौका मिलेगा, जिससे उनके स्किल्स में सुधार होगा और वे अपने प्रदर्शन को बेहतर बना पाएंगे।
इसके अलावा, कमजोर टीमों से खेलते हुए पृथ्वी को अगर मजबूत विपक्षी टीमों के खिलाफ खेलने का मौका मिलता है, तो उनके खेल में निखार आएगा। अच्छा प्रदर्शन करने पर वह चयनकर्ताओं की नजरों में आएंगे और टीम के लिए एक हीरो बनने का भी मौका मिलेगा।
मेहनत और प्रदर्शन होगा अहम
पृथ्वी शॉ को यह समझना होगा कि उन्हें लगातार मेहनत और बेहतर प्रदर्शन करना होगा। उनकी स्थिति रियान पराग जैसी हो सकती है, जिन्होंने असम के लिए खेलते हुए भारतीय टीम में जगह बनाई। अगर पृथ्वी सही फैसले लेते हैं और अपने टैलेंट को साबित करते हैं, तो उनके करियर को फिर से पटरी पर लाने की संभावना बनी रहेगी।