केंद्र सरकार ने अर्थशास्त्री मनोज पांडा को 16वें वित्त आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। गौरतलब है कि अर्थ ग्लोबल के कार्यकारी निदेशक निरंजन राजाध्यक्ष के आयोग में शामिल होने में असमर्थता जताने के बाद पांडा की नियुक्ति की गई है।
आर्थिक मामलों के विभाग ने जारी एक अधिसूचना में बताया गया कि इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के पूर्व निदेशक, मनोज पांडा को 16वें वित्त आयोग के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। अधिसूचना के मुताबिक पांडा कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से रिपोर्ट जमा करने तक या 31 अक्टूबर, 2025 तक (जो भी पहले हो) पद पर बने रहेंगे।
कौन हैं मनोज पांडा जिन्हें बनाया गया वित्त आयोग का सदस्य
इससे पहले, पांडा ने सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल स्टडीज (सीईएसएस), हैदराबाद के निदेशक और इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (आईजीआईडीआर), मुंबई में प्रोफेसर रूप में कार्य किया है । पांडा ने नई दिल्ली स्थित नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च में एक अर्थशास्त्री और वरिष्ठ अर्थशास्त्री के रूप में भी काम किया है। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है और येल विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो रहे हैं।
अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता वाले 16वें वित्त आयोग में 4 सदस्य हैं। इसमें पूर्व व्यय सचिव अजय नारायण झा और सेवानिवृत्त नौकरशाह एनी जॉर्ज मैथ्यू आयोग के पूर्णकालिक सदस्य हैं, जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष अंशकालिक सदस्य हैं।
वित्त आयोगग 31 अक्टूबर, 2025 तक राष्ट्रपति को सौंपेगा अपनी रिपोर्ट
उल्लेखनीय है कि वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों पर सुझाव देता है। केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर, 2023 को अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग का गठन किया है। आयोग 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपेगा। वित्त आयोग की यह रिपोर्ट एक अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए होगी। 16वें वित्त आयोग की पहली बैठक 14 फरवरी, 2024 को हुई थी।