चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: सिर्फ नए भारत की विजयगाथा नहीं, कल की ‘महाशक्ति’ का उद्घोष है
भारत ने आर्थिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय रच दिया है। ख़ास बात यह है कि आर्थिक विकास का यह मॉडल केवल महानगरों या अमीर तबकों तक सीमित नहीं रहा। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर चलते हुए मोदी सरकार ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा। यही वजह है कि दूरदर्शी नेतृत्व में भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। 4.186 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ भारत ने जर्मनी जैसे विकसित देश को पीछे छोड़ते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह उपलब्धि मात्र आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों के संघर्ष, परिश्रम और सपनों की साकार तस्वीर है।
निर्णायक नेतृत्व और जनभागीदारी ने बदली तस्वीर
एक दशक पहले भारत कई आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों से जूझ रहा था, लेकिन आज यह दुनिया की आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर चुका है। जहां दुनिया के कई देश आज कई मोर्चों पर अनिश्चतता और आशंकाओं से जूझ रहे हैं वहीं भारत मज़बूत और स्थिर नेतृत्व में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। हालांकि यह सफर आसान क़तई नहीं था लेकिन मजबूत नेतृत्व, साहसी नीतियों और जनभागीदारी की बदौलत भारत ने यह मुकाम हासिल किया है।
नीतिगत फैसलों ने दी विकास को रफ्तार
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, उस समय भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। करीब 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और कई नीतिगत समस्याएं देश की गति को रोक रही थीं। अगले दस वर्षों में, भारत ने एक के बाद एक आर्थिक सुधारों और नीतिगत फैसलों के जरिए विकास की रफ्तार तेज कर दी। 2019 में भारत ने ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवां स्थान प्राप्त किया और 2024 में जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए चौथे स्थान पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक दोनों ने इस उपलब्धि की पुष्टि की है और भारत की GDP को 4.186 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर बताया है।
ऐतिहासिक सुधार, जिन्होंने बदली दिशा
भारत की आर्थिक प्रगति के मूल में सुधारों की सशक्त नींव रही है। वस्तु एवं सेवा कर (GST) ने देश को एकीकृत बाजार में बदला, कर प्रणाली को सरल बनाया और राजस्व बढ़ाया। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) ने बैंकिंग क्षेत्र को मजबूती दी और ऋण प्रणाली में अनुशासन लाया। मेक इन इंडिया अभियान ने विनिर्माण को पुनर्जीवित किया और निवेशकों का भरोसा बहाल किया। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में भारत की रैंकिंग 2014 में 142 से 2020 में 63 पर आ गई। ये बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारत के शासनतंत्र की मानसिकता को भी बदला।
तकनीक से शक्ति की ओर
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2015 में शुरू की गई डिजिटल इंडिया मुहिम ने गांव से लेकर शहर तक, देश के कोने-कोने को इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं से जोड़ा। इससे न सिर्फ सरकारी सेवाएं सुलभ हुईं, बल्कि डिजिटल भुगतान, स्टार्टअप और तकनीकी नवाचार को जबरदस्त बढ़ावा मिला। यूपीआई (UPI) जैसी प्रणालियों ने डिजिटल भुगतान को इतना आसान बना दिया कि 2024 तक हर महीने 14 अरब से अधिक लेनदेन हो रहे थे। जनधन योजना, आधार और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) ने करोड़ों लोगों को वित्तीय प्रणाली से जोड़ा और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई।
बुनियादी ढांचे और मैन्युफैक्चरिंग में क्रांति
सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए। भारतमाला, सागरमाला और स्मार्ट सिटी मिशन जैसे प्रोजेक्ट्स के तहत सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और शहरी विकास पर अभूतपूर्व निवेश हुआ। 2014 से 2024 तक भारत में 80,000 किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), स्वच्छ भारत मिशन, और हर घर जल योजना जैसी पहलों ने गांवों और शहरों दोनों का कायाकल्प कर दिया। साथ ही, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) के जरिए मोबाइल, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और रक्षा उत्पादों के घरेलू निर्माण को जबरदस्त बढ़ावा मिला।
निर्यात में नई उड़ान और वैश्विक पहचान
भारत ने ग्लोबल बिजनेस में भी अपनी पकड़ मजबूत की है। 2023-24 में भारत का कुल निर्यात (सामान और सेवाएं मिलाकर) 824.9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। यह आईटी सेवाओं, फार्मा, रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, और इंजीनियरिंग उत्पादों में अभूतपूर्व वृद्धि का परिणाम है। भारतीय आईटी कंपनियों ने दुनिया भर में अपनी धाक जमाई, वहीं दवाओं के सस्ते उत्पादन ने भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ बना दिया। कृषि उत्पादों के निर्यात और वैश्विक मांग में भी निरंतर इजाफा हुआ, जिससे भारत की वैश्विक छवि एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभरी।
समावेशी विकास, हर हाथ को अवसर
प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत 24 अगस्त 2024 तक 53.13 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए। उज्ज्वला योजना ने 11 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए। आयुष्मान भारत योजना के तहत 50 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य बीमा की सुरक्षा मिली। ये योजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि भारत का विकास सशक्तिकरण और समानता के मूल्यों पर आधारित है।
करोड़ों भारतीयों की सामूहिक आकांक्षाओं की जीत
भारत का दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना सिर्फ एक उपलब्धि नहीं है यह आने वाले उज्ज्वल भविष्य की ओर एक मजबूत कदम है। आज पूरी दुनिया भारत को स्थिरता, अवसर और नवाचार के केंद्र के रूप में देख रही है। वैश्विक विश्लेषकों का मानना है कि भारत 2027 तक जापान को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह यात्रा भारत के करोड़ों नागरिकों की सामूहिक आकांक्षाओं की जीत है चाहे वह बेंगलुरु के स्टार्टअप हों, सूरत के बुनकर, पंजाब के किसान या हैदराबाद के इंजीनियर। हर भारतीय इस सफलता का सहभागी है। भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर हर भारतीय को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।