गगनयान मिशन आखिरी पड़ाव पर, 2027 में अंतरिक्ष में जाएगा भारत का पहला मानव मिशन
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” अब अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज मंगलवार को बताया कि भारत 2027 की पहली तिमाही में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को देशी रॉकेट के जरिए भारतीय धरती से अंतरिक्ष में भेजेगा। नेशनल मीडिया सेंटर, दिल्ली में एक प्रेस वार्ता में डॉ. सिंह ने बताया कि इस मिशन के तहत पहले मानव रहित परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं, जिनमें TV-D1 (टेस्ट व्हीकल डेमो-1) शामिल है। अगला परीक्षण TV-D2 मिशन 2025 के अंत तक होगा और इसके बाद गगनयान के मानव रहित ऑर्बिटल फ्लाइट्स होंगी।
डॉ. सिंह ने बताया कि मिशन के लिए LVM3 रॉकेट, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल की टेस्टिंग और इंटीग्रेशन अंतिम चरण में हैं। भारतीय नौसेना के साथ रिकवरी ट्रायल किए जा चुके हैं और आगे और भी समुद्री रिकवरी अभ्यास होंगे। उन्होंने कहा, “यह मिशन सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत के वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरने का प्रतीक है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व, स्वदेशी तकनीक और कम लागत में अधिक उपलब्धि की नीति का परिणाम है।”
डॉ. सिंह ने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station) और 2040 तक एक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने की घोषणा की थी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारतीय वायुसेना के चार पायलट, जो भविष्य के अंतरिक्ष यात्री हैं, उन्होंने रूस में प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, और अब वे भारत में मिशन-संबंधी विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनकी सेहत, मानसिक फिटनेस और ऑपरेशनल तैयारी पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
डॉ. सिंह ने गगनयान मिशन की कम लागत पर खास ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि, “इस मिशन पर होने वाला खर्च अन्य देशों के मानव अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में बेहद कम है, जबकि इससे होने वाले तकनीकी नवाचार और आर्थिक लाभ कहीं अधिक हैं।” उन्होंने बताया कि गगनयान मिशन से देश में रॉबोटिक्स, मैटेरियल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल क्षेत्र में कई नई खोजें और तकनीकी विकास हुए हैं। इसके साथ ही भारतीय उद्योग, निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को भी इसका भरपूर फायदा मिल रहा है।
ISRO प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने भी इस मिशन को “भारत का मिशन” बताया और कहा कि गगनयान ने देश को आत्मनिर्भर अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में बड़ा कदम दिया है और यह नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और उद्यमियों को प्रेरित कर रहा है। भारत अब उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल होने जा रहा है, जिनके पास स्वतंत्र मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता है। गगनयान मिशन भारत के वैज्ञानिक कौशल, आर्थिक विकास और रणनीतिक भविष्य का प्रतीक बनकर उभर रहा है।